Saturday, June 22, 2019

Days of Week


Days of Week (Hafte ke Din ہفتے کے دن )[edit]
Din
Day
In Urdu Script
Peer
Monday
پیر
Mangal
Tuesday
منگل
Budh
Wednesday
بدھ
Jumeraat
Thursday
جمعرات
Jumah
Friday
جمعه
Hafta
Saturday
ہفتہ
Itwaar
Sunday
اتوار

English
Urdu Script
Transliteration
Today
آج
āj
Yesterday/Tomorrow (depends on context/tense)
کل
kal
Day after tomorrow
پرسوں
parson
Day after day after tomorrow, the third day past today
ترسوں
tarson
Week
ہفتہ
hafta
This week
اس ہفتے
is hafteh
Month
مہینہ
mahīnah
Year


Kam Nahin Meri Zindagi Ke


Kam Nahin Meri Zindagi Ke Liye Lyrics - Tarrannum (1984)
Tarrannum (1984) Songs Lyrics
Movie/album: Tarrannum (1984)
Singers: Pankaj Udhas
Song Lyricists: N/A
Music Composer: Pankaj Udhas
Music Director: Pankaj Udhas
Music Label: Universal Music
Starring: Pankaj Udhas
Release on: 19th September, 1984
Kam Nahin Meri Zindagi Ke Liye Song Lyrics
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Kam nahin meri zindagi ke liye
Kam nahin meri zindagi ke liye
Chain mil jaaye do ghadi ke liye
Kam nahin meri zindagi ke liye
Kam nahin meri zindagi ke liye
Chain mil jaaye do ghadi ke liye
Kam nahin meri zindagi ke liye
Aye dil-e-zaar kaun hain tera
Aye dil-e-zaar kaun hain tera
Kaun hain tera, kaun hain tera
Aye dil-e-zaar kaun hain tera
Kyun tadpta hain yun kisi ke liye
Kyun tadpta hain yun kisi ke liye
Chain mil jaaye do ghadi ke liye
Kam nahin meri zindagi ke liye
Kitane samaan kar liye paida
Kitane samaan kar liye paida
Kar liye paida…
Kitane samaan kar liye paida
Kitane samaan kar liye paida
Itani chhoti si zindagi ke liye
Itani chhoti si zindagi ke liye
Chain mil jaaye do ghadi ke liye
Kam nahin meri zindagi ke liye
Aisa faiyaaz gham ne ghera
Aisa faiyaaz gham ne ghera
Aisa faiyaaz gham ne ghera
Gham ne ghera..gham ne ghera
Gham ne gheraaaa…
Aisa faiyaaz gham ne ghera
Lab taras hi gaye hasee ke liye
Lab taras hi gaye hasee ke liye
Chain mil jaaye do ghadi ke liye
Kam nahin meri zindagi ke liye
Kam nahin meri zindagi ke liye
Chain mil jaaye do ghadi ke liye
Kam nahin meri zindagi ke liye.


need of a Jimmedar


need of a Jimmedar, Jordar, Dumdar, Asaldar, Wafadar, Imandar 

Laqeer ka fakeer


Laqeer ka fakeer
there was a famous Saint who had many students. They all wanted to be great Saint like their teacher but one of them was quite ambitious. He worked hard to get all the theoretical knowledge but lacked common sense and behaviourial applications.
So, one day, The Saint advised his students to dry their washed clothes outside their hut and have drawn a line (laqeer) to fix individual spot for each student. All students made this a routine and continued following this as a rule. But one day, it started raining. All students took their half dried clothes inside their huts but that unique student stick to his line to dry his clothes resulting in getting it more wet.
That was when people started calling him laqeer ka faqeer.. which simply mean to strictly follow something without applying much sense.

लकीर का फकीर बनें
अंधविश्वास और खोखली मान्यताओं का पिछलग्गू बनें बल्कि खुल कर इन रूढ़ीवादी परंपराओं का दमन करें. ढकोसलों पर गंभीरता से विचार कर उन्हें खारिज करें.
http://www.sarita.in/wp-content/uploads/sites/default/files/nimbu-mirchi_0.jpg
एक पुरानी कहावत है, ‘लकीर का फकीर बननायानी कहेसुने को गांठ बांध लेना और आंख मूंद कर एक ही ढर्रे पर चलते जाना. यदि घर में धार्मिक मान्यताओं पर ज्यादा ध्यान दिया जाता है तो घर के बच्चे भी इस में शामिल हो जाते हैं और आंखें मूंदे वही सब करते हैं, जो उन्हें कहा जाता है.
बात सिर्फ पूजाअर्चना या अंधभक्ति तक ही सीमित नहीं है, कई बार तो इन अंधविश्वासों के कारण किशोरों को बड़ा नुकसान उठाना पड़ जाता है. इस बारे में चंदन कुमार एक वाकेआ सुनाते हैं, कि औल इंडिया मैडिकल प्रवेश परीक्षा के दौरान मेरी मां ने घर से निकलते वक्त मुझे सख्त हिदायत दी कि बगल वाले मंदिर के  पुजारी का आशीर्वाद लिए बगैर परीक्षा देने मत जाना और जो मन्नत का धागा है उसे जरूर अपनी कलाई पर बंधवा लेना, इसे भूलना मत.
इस चक्कर में मैं काफी देर तक मंदिर में पुजारी की प्रतीक्षा करता रहा. वे किसी कार्यवश बाहर गए थे. जब वे काफी देर तक नहीं आए तो आखिर मुझे वहां से निकलना पड़ा. पुजारी आए औैर मैं धागा अपनी कलाई पर बंधवा पाया. उलटे देर से पहुंचने पर ऐग्जाम में नो ऐंट्री होतेहोते बची.
मेरे जीवन का यह बहुत कड़वा अनुभव था. मैं ने उस दिन से हर बात को पत्थर की लकीर मानना छोड़ दिया. अब मैं सहीगलत का आकलन कर उस बात पर अमल करता हूं.
एक किशोर होने के नाते मैं अपने दोस्तों को भी यही सलाह दूंगा कि लकीर का फकीर बनें बल्कि अपने विवेक का इस्तेमाल कर कदम बढ़ाएं.
कई बार हमें बोझिल परंपराओं को मानने के लिए मजबूर होना पड़ता है. हम इन्हें मानने से इनकार नहीं कर पाते. ये सब आज 21वीं सदी में हो रहा है, जब सुपर कंप्यूटर और उन्नत तकनीक के युग में इंसान चांद की यात्रा कर चुका है लेकिन हम आज भी वैचारिक रूप से उन्नत नहीं हुए हैं. अंधविश्वास, ढोंग, जादूटोना आज भी हमारा पीछा नहीं छोड़ रहे हैं और हम बरबस ही अपना अहित होने की शंका में आंख मूंद कर इन्हें अपनी जिंदगी में उतार रहे हैं.
कुल मिला करलकीर का फकीरबनने की परंपरा को अपने घर से तोड़ने की शुरुआत करें. छोटीछोटी दकियानूसी मान्यताओं मसलन, बिल्ली के रास्ता काटने पर आगे बढ़ना, हमेशा दही खा कर ही घर से निकलना, छींक जाए तो यात्रा रोक देना, जाते वक्त किसी के पीछे से टोकने पर खिन्न होना, शाम को घर में झाड़ू लगाना, टिटहरी की आवाज सुनते ही रामराम करने लगना, रात को पीपल या नीम के पेड़ के आसपास जाना आदि से बचें.       
ऐसे बनाएं खुद को वैचारिक रूप से सशक्त
सुनीसुनाई बातों पर यकीन करें. तथ्य एकत्रित करें, फिर उस पर विश्वास करें.
ऐक्सप्लोरर बनें. आप का ऐक्सप्लोरर नेचर दूसरों को उस बात को मानने पर विवश कर सकता है.
टैबू ब्रेकर बनें. इसी से आप दूसरों के लिए प्रेरक बन सकते हैं. यदि आप के लौजिक में दम होगा तो लोग जरूर आप को फौलो करेंगे.
– ‘रिस्क गेनरबनें. अंधविश्वासों और खोखली मान्यताओं के खिलाफ चलें. इस से दूसरों में विश्वास भी पैदा होगा और वे आप का अनुसरण भी करेंगे.